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8 Jun 2021 · 1 min read

समय।

समय।

यह समय—
वापस नहीं आएगा फिर,
पछताएंगे हम—
जब मुड़कर देखेंगे अतीत की ओर।
मलेंगे हाथ अपनी अकर्मण्यता पर,
पर नहीं होगा कुछ पास तब,
सिवाय पछतावे के।
ढूंढेंगे रास्ता —
पर नहीं मिलेगी,
हमारी मनचाही मंजिल।
खाएंगे हम दर-दर की ठोकरें,
तब होगा आभास—
क्या खोया हमने समय की गरिमा को ठुकराकर।
फड़फड़ाएंगे हम—
पिंजरे में बंद पंछियों की तरह।
बंध जाएंगे काल की डोर से,
नहीं मिलेगी आजादी—
खुले आसमान में घूमने की।
अपना रास्ता खोजते खोजते-
थम जाएंगे हम यहां।
पर यह समय नहीं थमेगा।
यह तो निरंतर बढ़ता ही जाएगा,
आगे——-आगे————–और आगे।।

रचना-मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
सं०- 9534148597

Language: Hindi
6 Likes · 9 Comments · 630 Views
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