समय 【मुक्तक】
मात्राभार – २८
विषय – समय
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लगाकर पंख उड़ता है, समय क्या खूब चलता है।
समय संग जो नहीं चलते, वहीं फिर हाथ मलता है।
समय रुकता नहीं पथ में खड़ा हो रंक या राजा-
समय बर्बाद करना ही, हमे जीवन भर खलता है।।
#स्वरचित
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’