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2 Feb 2024 · 1 min read

समय ⏳🕛⏱️

एक आज को,
किसी कल को,
लिखता गया समय।।

धार के तीखेपन में,
विकराल – चाल चल,
अकाल ही लेकर,
ऋजु* उम्र – पर्ण ,
प्रलय – पतझड़,
उजाड़ गया असमय। ।।

अश्रू – कपोल पर,
विदीर्ण* वक्ष: स्थल ,
मूर्छा – विछोह ,
शोक – गीत कर्ण कर,
छलनी- सा छल गया पल।।

सब प्रकल्प*,
विकल्प विफल,
निस्तेज काया,
किसी की कर,
श्रद्धांजलि,
सेज सजाता मन पर।।

जो अदृश्य है,
पर संवेद्य स्तर,
करुण – क्रंदन,
दिशाओं से ज्ञात,
अनीप्सित*,
करुण रस,
छिड़क रहा अवसर ।।

मातृत्व को अतृप्त,
पिता को तीता*,
भाई को आहत,
बहन को असहाय,
असहज ,
नीरस, रस,
दे रहा समय।।

संवेदना भरा,
अनलदत्त* कर्तव्य,
भस्मीभूत भाव,
वेदना विद्ध,
इतिकर्तव्यता* – कथा,
हाथों – हाथ बांच* रहा समय।।

स्मृति – चित्र सीमित,
मालावेष्टित ,
असह्य फिर भी,
सब चहेतों को ,
समेट रहा समय।।

संकेत शब्द : – 1* कोमल, 2* टुकड़े, 3* प्रयास, 4* अनचाहा, 5*कड़वा, 6* जलाना, 7* करने योग्य, 8* बोलना।।

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