समय समय की बात है।
समय समय की बात है,
तुम्हे मेरी हर बात मधुर लगती थी,
तुम मुग्ध भाव से मुझे देखते हुए कहा करती थी,
आपकी बातों से रस टपकता है,
जिससे भीग जाता है मेरा अंतरमन,
मेरी आगोश में आते ही,
घेर लिया करता था तुम्हे मधुवन,
तुम रंगो और खुशबुओं से नहा जाती थीं,
सहराओं का ज़िक्र करने पर तुम खफा हो जाती थीं,
समय बदला सब बदल गया,
आज मैं ,
रेत,
सूखा हुआ फूल,
और एक नीरस वयक्ति हूं,
तुम अक्सर सोचती हो,
तुम क्यों दिवानी थी इस बंजर शख्स पर ,
परेशान मत हो,
तुम भी वही हो,
मैं भी वही हूं,
बस,
समय समय की बात है।
कुमारकलहंस।