समय बलवान है ….
देखो ना समय के पहले कुछ नही मिलता ,शायद इस नियम को मैं नही मानता पर 1000 विचारों और योजनाओं तथा संघर्ष के बाद अनुभव कहता है कुछ तो है इस प्रकृति में ,जो वास्तव में सत्य है ,उदहारण ” जिस विषय ( economy) को पढ़ने के लिए हमने पिछले 2 सालों से संघर्ष किया ,हर एक कोशिस की लेकिन जब मिला तो नियति खेल रही है ,वह भी ऐसे वक्त जब समय कम हो और उम्मीदे ज्यादा , और भी चिजे बिन मांगी मिली ,परन्तु उसकी कोई कीमत नही रही , हजारों बार असफलता और बैचेनी वाले हृदय ने हमे खुशियों के जगह उसे पोस्टपोंड करने पर मजबूर करती हैं , हम अर्जुन की तरह मीनाक्षी को भेद दे ,पर समय बलवान हैं, क्योकि आपके पास सम्राज्य(शरीर) है ,जोश है , हौसला का ऐसा पिटारा है जो सिर्फ अग्नि की तरह ख़ौलता हैं , परन्तु समय का मिलन नही है । परन्तु मेरा अनुभव है प्रकृति जब भी समय के साथ कुछ देती हैं तो वह आप मे एक ऐसी अथाह शक्ति का संचार भी करती हैं कि एक वक्त के बाद ” कोई कार्य सोचने पर पागलपन लगे “। कि कैसे सम्भव हुआ । परन्तु जब नही देती तो वही कार्य आपके लिए नासूर बन जाती हैं ।मानो करूक्षेत्र का मैदान कौरवों के रक्त से स्नान कर रही हो और विजय नही मिल रही हैं ।
शायद समय का कहना है निरंतर मेरे भाँति तुम भी चलते रहो ,रास्ते में मिल जाये उसका स्वाद चखो ,आगे बढ़ो शायद उससे भी बड़ा फल रखा हो , और शायद मधुसूदन का कर्म का नियम कहलाता हैं , शायद यही गरीबो का भाग्य का सिद्धान्त कहलाता है , शायद यही अमीरों की किस्मत की नियम कहलाता है । अर्थात समय
“जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ” वाले रूप का भी बताता है । शायद समय ही है रात की आधी प्रवाह में मुझे लिखने का मन कर रहा है , जबकि मैं नीद में हूँ ।
अतः समय ही समय के लिए भगवान हैं , वही उसका कर्ता धर्ता है जो उसकी प्रकृति का निर्धारण कर सरल ,सहज, और सुगम्य बनाता है ।