समय बदल गया
समय बदल गया
मन विचलित होता ये देखकर, समय ये कैसा आया।
कलम होनी थी जिन हाथों में, आज मोबाइल पाया।।
मिले सहारा आज नहीं, बस रह गई पास में माया
छोड़ के अपने दूर गए, जब बूढ़ी हो गई काया।।
अपनेपन को भूल गए, स्वार्थ की चढ़ गई माया।
शहर में रहकर भूल गए, हरे पेड़ की छाया।।
लस्सी के भी दाम लगे, जल ना मुफ्त है पाया।
प्रदूषण की मार झेलते, जान को खतरा आया।।
अपनी कमाई की खातिर, अश्लील गान है गाया
मनोरंजन के नाम पे देखो, फूहड़पन है छाया।।
संस्कार बस नाम का रह गया, मूल्यविहीन सब पाया।
तंज कसे जो बहन-बेटी पर, जीवन उसका है ज़ाया।।
नशा करे मयखाने जाकर, घर भी लौट ना पाया।
भटक गया है राह से युवा, अनहोनी का साया।।
गिल्ली डंडा आँख मिचौली, झूले संग गीत न गाया।
कार्टून देखे दिनभर बच्चा, आँख पे चश्मा पाया।।