“” *समय धारा* “”
“” समय धारा “”
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चले
समय की धारा बहती,
कब कहाँ ये रूकती है !
संग ले चले सबको बहाती…..,
ना कहीं ठहरे, अनवरत बहती है !!1!!
पलें
समय धारा संग-संग,
ना जानें कितनी ही सभ्यताएं !
और होए चलें विकसित हरेक पल….,
ना जानें कितनी ही मनो संकल्पनाएं !! 2 !!
खिलें
समय संग-संग हम,
चलें बढ़ते जीवन में आगे !
और कभी नहीं मुड़के पीछे देखें….,
सतत अनवरत चलते रहें आगे ही आगे !! 3 !!
महकें
समय धारा संग-संग,
और चलें बाँटते प्रेम खुशियाँ !
जो चले गए छोड़के साथ हमारा….,
उनकी स्मृति में महकालें मन बगिया !! 4 !!
हारें
ना जीवन में कभी,
करें ना कभी कोई पछतावा !
चलें सभी का साथ निभाए यहाँ पे…..,
रहें स्वार्थ से दूर, ना करें दिखावा !! 5 !!
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सुनीलानंद
गुरुवार,
23 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |