समय
समय
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समय की भी
अजीब माया है,
कभी खुशियों की बारिश
तो कभी दु:खों का साया है।
समय की महिमा कभी
समझ नहीं आती,
ये जब तब
सबको है भरमाती ।
समय का अपना ही अंदाज है,
जैसे चमकती धूप में भी,
झमाझम बरसात है।
समय चक्र के खेल से
कोई नहीं बच पाया,
अमीर,गरीब, छोटा या बड़ा
या ऊँच नीच कोई भी,
समय चक्र से
कौन कहाँ बच पाया?
✍सुधीर श्रीवास्तव