समय के सांचे में सब ढल जाते हैं
समय के सांचे में सब ढल जाते हैं
न चाहते हुए भी सब बदल जाते हैं
जो छोड़ते नहीं उम्मीदों का दामन
बुरे हालात में भी सम्भल जाते हैं
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला -कुशीनगर
समय के सांचे में सब ढल जाते हैं
न चाहते हुए भी सब बदल जाते हैं
जो छोड़ते नहीं उम्मीदों का दामन
बुरे हालात में भी सम्भल जाते हैं
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला -कुशीनगर