समय की परख
समय की परख
एक गांव में एक भोला भाला किशन नाम का लड़का रहता था। प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरा किया ।लड़का होशियार था उसका पिताजी का सपना था कि उसका बेटा सरकारी अधिकारी बने। फिर उसने अपने लड़के को शहर में दाखिल करवा दिया। किशन शहर जाने के बाद उसको पता चला कि पैसे की मूल्य कितनी है। एक-एक पैसे की लिए मोहताज हो जाता था।किशन चाहता उसको पूरा नही कर पाता था। चाहे कपड़े खरीदने की हो चाहे पेन कॉपी हो चाहे पुस्तक के लिए हो हर चीज हर वस्तु के लिए वह समस्या का सामना करना पड़ता था ।और वह नहीं चाहता था अपने पिताजी को यह समस्या को बताए उन्होंने समय की परख को समझा कहीं दुकान में काम करने के लिए निकल पड़ा उसे एक ज्वेलरी की दुकान में काम मिल गया पार्ट टाइम नौकरी करते-करते अपना पढ़ाई पूरा किया पढ़ाई पूरा करने के बाद वह हमेशा अपने पापा के सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करता और समय के महत्व को देखते हुए उन्होंने काफी अपने आप को स्थापित किया ।उसे एक सरकारी ऑफिसर के रूप में नौकरी मिल गया।उसके पिताजी बहुत खुश हुए अपने बेटे के ऊपर उनको काफी नाज था। समय के महत्व को जाना किशन की इस कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि हमें समय को परखे जाने तो निश्चित ही अपनी मंजिल प्राप्त हो जाएगी।
रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पुरुषोत्तमपुर
विकासखंड बसना जिला महासमुंद (छत्तीसगढ़)