समय की चाल को देखो
समय की चाल को देखो
सुई की ताल को देखो
हमारा पात सा जीवन
बदलते काल को देखो
फँसे हम मोह माया में
बिछाये जाल को देखो
समय की मार खा खा कर
लटकती खाल को देखो
बड़ा है ज्ञान अनुभव का
पके हैं बाल को देखो
किया है नाम जग भर में
उठे उस भाल को देखो
लो अंतिम सांस तक आनन्द
न गिनकर साल को देखो
हो उस पर ‘अर्चना’ बैठे
न काटो डाल को देखो
17-06-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद