समय की कीमत – कहानी
समय की कीमत – कहानी
नलिनी एवं प्राची दोनों पक्की सहेलियां थी | दोनों एक ही कक्षा में पढ़ाई कर रही थी | इस समय दोनों कक्षा आठवीं में थीं | मध्यमवर्गीय परिवार से दोनों का संबंध था | एक और नलिनी के परिवार में समय की पाबंदी के संस्कार से बच्चों को पोषित किया गया था | जबकि दूसरी ओर प्राची के घर में सब कुछ उनकी मर्जी पर निर्भर था | बच्चों में भी ऐसे कोई संस्कार पल्लवित नहीं किए गए थे जो बच्चों के जीवन को दिशा दे सके |
स्कूल जाने के समय नलिनी अपने घर से समय पर निकल जाती और रास्ते में प्राची को भी स्कूल चलने के लिए कहती | किंतु प्राची का एक ही डायलॉग होता अरे नलिनी तू चिंता क्यों करती है कुछ नहीं होगा एक दिन लेट चले जाएंगे तो स्कूल का क्या बिगड़ जाएगा | प्राची की इसी सोच के कारण स्कूल लेट आने के लिए कई बार उन दोनों को झिड़कियां मिल चुकी थी | प्राची के व्यवहार में कोई सुधार नहीं हो रहा था | बीच-बीच में प्राची को लिए बिना ही नलिनी स्कूल समय पर पहुंच जाया करती थी | प्राची के कारण स्कूल में नलिनी को भी बच्चे स्कूल लेट आने पर चिढ़ाया करते थे |
प्राची की प्राय सभी कामों में यही आदत थी स्कूल का होमवर्क हो या कोई उत्सव ,पार्टी आदि | सभी में लेट पहुंचना इसकी आदत हो गयी थी | धीरे-धीरे प्राची और नलिनी ने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली| और साथ ही कंप्यूटर विषय में डिप्लोमा भी | अब दोनों नौकरी की तलाश में जुट गयीं | एक बार रेलवे की नौकरी के लिए विज्ञापन आया | नलिनी ने रेलवे की नौकरी के लिए फॉर्म भर दिया | और प्राची को फोन कर दिया कि वह भी फॉर्म भर ले | और साथ ही उसने प्राची को अंतिम तारीख के बारे में भी बता दिया | नलिनी परीक्षा की तैयारी में जुट गई जबकि प्राची की वही सोच थी कि जब परीक्षा आएगी तब पढ़ लेंगे | जिस दिन आखिरी तारीख थी नलिनी ने प्राची को फोन कर फॉर्म भरने के बारे में पूछा तो प्राची को जोर का झटका लगा |वह फॉर्म भरना भूल गयी थी | आनन-फानन में नलिनी ने प्राची का फॉर्म भरवा दिया |
परीक्षा का दिन आया | परीक्षा पास के ही दूसरे शहर में थी सो उन्होंने साथ – साथ जाने की बात सोची | परीक्षा वाले दिन नलिनी प्राची को लेने उसके घर पहुंची पर प्राची तैयार नहीं हो पाई थी | सो नलिनी अकेले ही परीक्षा देने चली गई | प्राची परीक्षा स्थल पर देर से पहुंची | बहुत मान – मुनव्वल के बाद उसे परीक्षा देने की अनुमति दी गई | पर इस घटना के बाद ही उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया और बात आई गई हो गई |
नलिनी और प्राची दोनों ने रेलवे परीक्षा पास कर ली | इस बार इंटरव्यू के लिए घर से 400 किलोमीटर दूर जाना था | नलिनी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी सो उसने प्राची को साफ-साफ कह दिया कि वह इंतजाम कर ले और इंटरव्यू वाले दिन सेंटर पर मिले | नलिनी तो परीक्षा केंद्र पर समय पर पहुंच गई और उसका इंटरव्यू भी अच्छी तरह से पूरा हो गया किंतु प्राची देर से पहुंची जिसके कारण उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया और इंटरव्यू देने की इजाजत नहीं दी गई | अपना सा मुंह लेकर प्राची घर वापस आ गई | घर के लोगों ने भी उसे उसकी इस गलती के लिए खूब फटकार लगाई |
नलिनी रेलवे कंप्यूटर आरक्षक के पद के लिए चयनित हो गई |प्राची ने अपनी सहेली नलिनी को उसके चयन के लिए बधाई दी | साथ ही अपने व्यवहार के लिए माफ़ी भी मांगी कि उसके कारण नलिनी को भी कई बार डांट खानी पड़ी | प्राची को अपनी गलती का खामियाजा भोगना पड़ा | अब उसकी आंखें खुल चुकी थी | और उसने आगे से सभी काम समय पर करने का प्रण कर लिया | साथ ही अपने सुनहरे भविष्य के लिए तैयारी भी शुरू कर देती है |