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20 Sep 2020 · 1 min read

समय का स्पर्श

” समय का स्पर्श
या काल की घटना
आप से मेरा मिलना
युगों का बिछोह
अंतर्मन का मोह
प्रेरणा कहीं और जन्मी
और प्रयास कहीं और पला बढ़ा
जीवन की कोई खोज
कोई चाहना थी
शायद चेतना का
कोई भेद अब खुले
अब पता चले
दृष्टि से दृष्टि का आदान-प्रदान
हुआ नहीं था
शायद धुंधला रहा
पर रहा
वहाँ खुद ना सही
पर दृष्टि मौजूद थी
एक आईना था
समय का आईना
जिसमें प्रत्यक्ष आप प्रकट थे
बोल रहे थे
सुन रहे थे
वह आईना खुद की तस्वीर था
या फिर आपकी
अंतर स्थापित करना नामुमकिन सा लगा
वह आईना जगमगा रहा था
आप के प्रेमपगे सानिध्य से
दृष्टि में आप इतने रचे-बसे थे कि
मानों दो अलग व्यक्तित्व हों ही नहीं
जिनसे मिल पाई
वो स्नेह से परिपूर्ण थीं
जिन्हें देख नहीं पाई
वो हर जगह प्रतिबिंबित थे
कहीं जाने वाली बातें
सब कह दी थी
जो अनकही रह गई
शायद खुद पहुँच गईं होंगी
विचित्र सी मुलाकात रही
अप्रत्यक्ष और
दृष्टि के बंधन से मुक्त
पर आप मुझे जान गए होंगे
और मैं आपको पहचान गई

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 359 Views
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