*समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)*
समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल (कुछ दोहे)
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1
सबके स्वस्थ विचार हों, सबकी सुन्दर देह
सब मन की भाषा पढ़ें, बसे सभी में नेह
2
मन के गुण बतला रही, दूत लिखावट चाल
टाइप कब समझा सका, मन का कैसा हाल
3
समय कभी अनुकूल है, समय कभी प्रतिकूल
काँटें हैं जिस पेड़ पर, उसी पेड़ पर फूल
4
दो दिन का था यह सफर, दो दिन का यह वेश
दो दिन के मेहमान सब, फिर सब अपने देश
5
नजरें पर्दे पर टिकीं, मोबाइल में जान
क्या होगा इस दौर में, आँखों का भगवान
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टाइप = मोबाइल पर संदेश को टाइप करना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल.9997615451