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22 Sep 2021 · 1 min read

समय और संयोग

बदल नहीं सकता कभी, समय और संयोग।
‘सूर्य’ न जाने क्यों लगा, हाय-हाय! का रोग।।

ज्यादा कुछ भी भाग्य से, मिले कभी ना यार।
सब जीवन के अंश हैं, जीत, खुशी, गम, हार।।

मरहम ऐसा है समय, भर देता हर घाव।
हिम्मत से बस काम लो, मानो सूर्य सुझाव।।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 508 Views
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