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2 May 2019 · 1 min read

समय उड़े पंख लगाए

दिनांक 2/5/19

भागते रहे
जिंदगी भर
जिंदगी जीने
के लिए
न मिला सुकुन
छूट गये
कुछ निशान
दुखभरे तो
कुछ सुखभरे

घर गृहस्थी
बच्चों आफिस में
गुजर गया
समय पंख लगाए

बच्चे हो गये
घर-द्वार के
जीवन हो गया
निवृत

लेकिन
कम होता नहीं
प्यार किसी भी
उम्र में

साथ चला थे
साथ रहेंगे
हर सुख-दुःख में
सब है प्रार्थना
ईश्वर से
साथ न छूटे
हाथ न छूटे
जिंदगी भर
खुशनुमा निशान
रहे यादों में हमारे

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
177 Views
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