समभाव
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र में पेड़ से गिरते पत्तों ने मुझे सिखाया की साथ हमेशा नहीं रहता -कभी तेज बारिश गिरा देती है तो कभी तेज धुप झुलसा देती है ,रही सही कसर आंधी तूफ़ान पूरा कर देते हैं और इन सबके बावजूद भी जो टिके रह जाएँ उसी नजाकत के साथ वो है सच्चा साथ…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की संभलता हर कोई है इस जहाँ में बस एक धोखे-हादसे की जरुरत होती है जो आपको तोड़ कर रख दे हर तरह से फिर से एक नई उम्मीद के साथ कदम उठाने के लिए ..,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ना जाने वृक्ष के सूखने पर लोग क्यों उन्हें पानी देना छोड़ देते हैं -बेरुखे से हो जाते हैं लोग मानो अब इस पेड़ का अस्तित्व खत्म ,लेकिन भूल जाते हैं लोग की जब ईश्वर मेहरबान होते हैं -कुदरत आशीर्वाद बरसाती है तो अक्सर वही सूखे पेड़ पहले से कहीं ज्यादा घने और छायादार हो जाते हैं ,इसलिए हर हाल में समभाव बनाये रखें …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की दुनिया में सबसे हसीन बेवफा तो जिंदगी है जो कभी भी धोखा देकर मौत की बाँहों में समां जाती है और यकीन मानिये अमूमन इंसान वक़्त -हालातों -गर्दिशों से नहीं बल्कि अपनों की असहनीय बेरुखी से बिखरता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान