समता उसके रूप की, मिले कहीं न अन्य।
समता उसके रूप की, मिले कहीं ना अन्य।
निर्मल छवि मन आँककर, नैन हुए हैं धन्य।।
दिल में उसकी याद है, आँखों में तस्वीर।
उलझे-उलझे ख्वाब की, कौन कहे ता’बीर।।
©® सीमा अग्रवाल
समता उसके रूप की, मिले कहीं ना अन्य।
निर्मल छवि मन आँककर, नैन हुए हैं धन्य।।
दिल में उसकी याद है, आँखों में तस्वीर।
उलझे-उलझे ख्वाब की, कौन कहे ता’बीर।।
©® सीमा अग्रवाल