समझ सकें यदि मर्म…: छंद कुण्डलिया
दुविधा में चन्दा बहुत, कैसे कह दे मर्म.
रहे प्रकाशित सूर्य से, सत्य सनातन धर्म.
सत्य सनातन धर्म, उसी से सब हैं जन्में.
हाय! बँट गए पंथ, द्वेष उपजा क्यों मन में?
सब हैं एक समान, सभी पाते सुख-सुविधा.
समझ सकें यदि मर्म, दूर होगी हर दुविधा..
छंदकार:–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’