समझ लेओ होरी है ।
समझ लेओ होरी है ।
जब छावै अजब सो खुमार
रंगन की बरसै फुहार
गलिन मैं घूमै मिल सब यार
फाग गावैं जबहीं हुरयार
समझ लेओ होरी है ।
होवै बरसाने में लट्ठमार
करैं बरजोरी सब नर नार
प्यार की होवै जब तकरार
सजनवा जबहिं दिखावैं प्यार
समझ लेओ होरी है ।
जब भौजी लगें दिलदार
रंगैं बार बार
करें आंखें चार
बचावै ना कोई जब यार
समझ लेओ होरी है ।
पीके भंगिया दिखैं सब चार
हंसै सब यार
अम्मा बनी थानेदार
दद्दा चटावैं अचार
समझ लेओ होरी है ।
पकर सब घर लै जावैं यार
खिलावैं गुझिया बारम्बार
गले मिल होवै हर्ष अपार
प्रेम रस की जब हो बौछार
समझ लेओ होरी है ।
होरी है ……………..
अनुराग दीक्षित