समझ जायेंगे
इश्क में थोड़े नादां है,समझ जायेंगे
उतार चढ़ाव का दौर, सहम जायेंगे
पल दुनिया की खुशियाँ समेट लेंगे
पल भर में दुनिया से भरम जायेंगे
देखी नहीं,दुनिया दारी, देख लेंगे
सम्भल गये तो ठीक,बहक जायेंगे
हमसे करते हैं, बेइंतहा मोहब्बत
जानते हैं, पास होते ठिठक जायेंगे
अभी वहम में जीने की आदत है
जान कर असलियत सबक जायेंगे
✍️रवि कुमार सैनी