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24 Oct 2021 · 1 min read

समझौतों की शक्ल

✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक दिन हर इंसान को कहीं ना कहीं महसूस होगा की ईश्वर ने उन्हें मनुष्य योनि देते हुए बुद्धि -विवेक दिए पर 99.99% प्रतिशत इंसान बजाय उस ईश्वर की राह पर चलने के -सत्य की राह पर चलने के केवल और केवल हम की बजाय मैं और मेरा तथा दुनियादारी के घेरे में ही उलझे रहे और निरर्थक ही इस जीवन से चले जाते हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक बेटी का पिता अपने दिल की धड़कन -आँखों का नूर -अपने घर की रौनक विवाह में कन्यादान के रूप में सौंप देता है और ससुराल वालों तथा लोगों की निगाहें ट्रक में कितना आया -क्या आया -गाडी आई की नहीं ,इन्हीं सबको खोजती रहतीं हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जहाँ मस्तिष्क में जिद -ह्रदय में शक और जुबान पर जुबानदराजी /मुक़ाबला आ जाये वहां रिश्ते हार जाते हैं और समझौतों की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं …,

आखिर में एक ही बात समझ आई की लोगबाग कहते तो हैं की पत्थरदिल है ,अब उनको कैसे समझाऊँ की हाँ सही है की पत्थर की कमजोरी है की पिघलता नहीं लेकिन उसकी सबसे बड़ी खूबी भी है जो आज के इंसानों में देखने को नहीं मिलती वो यह की ये बदलता भी नहीं ….!

बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
169 Views
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