—————— समझौता ——————-
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लौट कर वापस आऊँ अब तो ये मुमकिन नहीं
मैं तुझे मंज़िल पर मिलूंगा ये भी नहीं।
तेरे इक फैसले से बदल गया है रस्ता मेरा
रहा अब पहले जैसा मैं भी नहीं ये भी नहीं।
ना ठहरी है ना खत्म हुई कहानी तेरी मेरी
हो दरिया जैसी कोई रवानी ये भी नहीं।
जेहन से निकल गया है हादसे का मंज़र लेकिन
मैं दिल से भूल गया हूँ उसको ये भी नहीं।
गुमसुम चहरे पर गम का कोई निशान नहीं
और तेरी तरह हर बात पर हंस दूँ ये भी नहीं।
समझौते की पकड़ के ऊँगली चलने की ठानी
मैं खुद से भी समझौता कर लूँ ये भी नहीं।