समझौता
गुज़रे हुए पलों सा एहसास ना कराओ मुझे ,
पीछे छूट गया जो साथ याद ना दिलाओ मुझे ,
एक नई राह में सफ़र का
आगाज़ कर चुका हूं मैं ,
पीछे देखना नही अब फ़ितरत मेरी
आगे बढ़़ चुका हूं मैं,
दिल के ज़ख़्मों को अश्कों से
साफ कर चुका हूं मैं ,
ख़ुद से समझौता कर ज़ख़्मों का
मुदावा ढूंढ चुका हूं मैं ,
ज़िंदगी में सब कुछ भुला आगे बढ़ जाना पड़ता है ,
वक्त की गर्दिश में ग़म जज़्ब करके जीना पड़ता है।