समझने वाले इशारों को!
समझने वाले इशारों को समझ को समझ जाते हैं।न समझने वाले कोशिश नहीं करते हैं। जिनकी मर चुकी हो जिज्ञासा। फिर हाथ लगेगी निराशा।जो कभी अपना दिल साफ न करते हों।ऊपर से धवल क्यों न दिखते हो।काले पर कोई रंग न चढ़े,सब दूर दूर भाग जाते हैं। समझने वाले इशारों को समझ जाते हैं।अब! तो सभी बन चुके हैं ज्ञानी। बिन कागज के पढ़ने लगे हैं विज्ञानी। इनकी बातें सुनकर जमीन खिसक जाती है।अब!हवा में हवा से बात हो जाती है। पूरी दुनिया अंगुलियों पर नचाते हैं। समझने वाले इशारों को समझ जाते हैं।