समझदार से पंगा लेना
समझदार से पंगा लेना है कितना भारी। माता से मम्मी और पिता से पापा बोलना है लाचारी। जो बन चुका है अब भाषा का अधिकारी lवह दिन दूर नहीं जब जूता करे सवारी। तुम दिखाते रहो अपनी अपनी समझदारी। तोते वन रटते रहो बनकर दरबारी। अब हम कितने स्वतंत्र हैं दिन में करो बिचारी। वह तुम्हें दुष्टों से मुक्त कराने आए थे l स lत्ता कैसे चलाते हैं यह सिखलाने आए थे।