समझदार रीना
मयंक की शादी हो गयी थी वह रीना के साथ पुणे आ गया था । दोनों विप्रो कम्पनी में इंजीनियर है । सब ठीक चल रहा था इसी बीच मयंक की माँ रमा भी इनके साथ रहने आ गयी ।
जब दोनों आफिस जाते और हँसते लौटते तो रमा को यह अच्छा नही लगता वह सोचती रीना , मयंक को मेरे बारे उल्टा-सीधा बोल कर मयंक हो मुझ से दूर कर देगी और मयंक मेरी तरफ ध्यान नहीं देगा । इसलिए रमा को जब भी मौका मिलता , रीना के बारे कान भरने लगी , इससे उनके जीवन में तनाव रहने लगा और लडाई झगड़े होने लगे ।
रीना समझदार लडकी थी और वह समस्या के तह में जाना चाहती थी । अब मयंक आफिस से जल्दी आने लगा और रीना अलग से आती थी ।
एक दिन जब रीना आफिस से आई तब रमा , मयंक को उसके बारे कुछ कह रही थी । रीना ने चुपचाप अपना मोबाइल रिकार्डिंग में कर करे टेबिल की ड्राअर पर डाल कर अंदर कमरे में
आ गयी ।
रात को उसने मयंक और रमा की बात सुनी और मयंक को भी सुनाई । इसके बाद बोली :
” माँ के बाद अचानक क्या हो गया कि आप मुझे पराया समझने लगे जबकि मेरे व्वहार में तो कोई अंतर नहीं आया । मैं माँ जी पूरा ध्यान रखती हूँ इज्जत देती हूँ और आपका भी ।
फिर बोली वास्तव में :
” बेटे की माँ की यह बेबुनियाद अवधारणा होती है कि बहू के आने के बाद वह लडके को अपनी तरफ खींच लेगी
इस कारण वह बहू के बारे में लडके को गुमराह करती है यही उसकी दबी उत्कंठा होती है और वह बहू बेटे के बीच जहर घोलती रहती है ।”
अब मयंक को सही स्थिति मालूम हो गयी थी , उसने माँ को विश्वास दिलाया आपके प्रति जो मेरे कर्तव्य हैं उन्हें मैं हमेशा पूरा करूँगा । रीना पढी लिखी समझदार लड़की है उसके बारे में आप कोई पूर्वाग्रह नहीं पाले । मेरी निगाह में आप दोनों के लिए कोई दुर्भावना नहीं दोनों बराबर हैं । आपको तो खुश होना चाहिए कि आपका बेटा बहू खुश हैं ।
रमा भी अपनी गलति समझ चुकी थी और अपने स्वाभाव में परिवर्तन कर लिया ।
रीना की समझदारी से एक घर टूटने और पति पत्नी बिखरने से बच गये थे ।
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल