समझदारी एक ढोंग
आस्था की मान्यता.
और उस पर निर्वहन.
सहजता नहीं एक बंधन है.
इससे पार पाने के लिए.
स्वयं के प्रति जागरण और
मन की प्रकृति का अध्ययन
आवश्यक है.
.
एक दोहा…
समझदारी एक ढोंग है,
तरस खाये कौन,
जो बताये खौफ खाये
भला देखिए मौन.
आस्था की मान्यता.
और उस पर निर्वहन.
सहजता नहीं एक बंधन है.
इससे पार पाने के लिए.
स्वयं के प्रति जागरण और
मन की प्रकृति का अध्ययन
आवश्यक है.
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एक दोहा…
समझदारी एक ढोंग है,
तरस खाये कौन,
जो बताये खौफ खाये
भला देखिए मौन.