***समग्र चिंतन ***
(१)”अच्छा- बुरा” एक नजरिया है जो देखने समझने वाले पर निर्भर करता है। जो किसी के लिए अच्छा है, वही दूसरे के लिए बुरा।
सो
श्रेष्ठ सोच, पारखी दृष्टि एवं अंतरात्मा की पुकार ही अच्छे बुरे की पहचान कर सकती है।
(२)- वह रास्ता जो तुम्हें आत्म सम्मान से जीने के लिए प्रेरित करें उसे भूल कर भी मत त्यागो।
(३)- ज्ञान और विज्ञान मनुष्य को महान बना लेता है अतः इस क्षेत्र में जीवन की आहुति दे दो।
(४)- डगमगाए विश्वास के सहारे मंजिल दूर चली जाती है दृढ़ता से रखा पैर सदैव अग्रसर होता है इसलिए दृढ़ निश्चय को नित्य की माला बनाकर इसका जाप करें।
(५)- एक पिता अपने पुत्र पुत्री के लिए अपने शौक त्याग देता है उनका भविष्य संवर जाए इसी उधेड़बुन में अपनी मेहनत की संपूर्ण पूंजी उसी पर न्योछावर कर देता ऐसे में यदि मूढ़ पुत्र पुत्री बुढ़ापे में उन्हें अपना बोझ मानते हैं तो उनके लिए स्वर्ग तो स्वर्ग इस पृथ्वी लोक में भी कोई जगह नहीं होनी चाहिए।