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4 Jul 2017 · 1 min read

*समंदर* मुक्तक

समंदर (मुक्तक)

कभी खाली नहीं रहता समंदर आँख का ए दिल।
ग़मों की तैरती कश्ती कभी रूँठा हुआ साहिल।
उठा तूफान भीतर है निगल खामोश तन्हाई।
बहा ले जायगा सैलाब मिल ना पायगी मंजिल।

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
महमूरगंज, वाराणसी (मो.-9839664017)

Language: Hindi
1 Like · 359 Views
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