*** समंदर बताता है ***
समंदर बताता है कभी वह अपने पर इठलाता है
शहर के शहर बह जाते है तनिक जब मुस्कुराता है ।।
?मधुप बैरागी
नहीँ बोल पाते कब मिश्री घोल पाते
बिनमोल बिक जाते कब तोल पाते
ब्रत करवा- करवा पाते कब अपना
बताओ ओर कब हम घर बोल पाते ।।
?मधुप बैरागी