समंदर की तरह शांत रह लेने दो मुझे
समंदर की तरह शांत रह लेने दो मुझे
समंदर की तरह शांत ही रह लेने दो मुझें।
बढ़ते दर्द संग ही जी लेने दो मुझे।।।
ख्वाइशों को मिट्टी में दफ़न कर लेने दो मुझे।
जीने की आरजू को खत्म कर लेने दो मुझें।।।।
उम्मीद की दीवारों को अब तेज धार में ढह जाने दो।
आँखों से अश्कों की धार में नहा लेने दो मुझें।।।।
चाँद से चकोरी नही मिलेगी मुश्किल है राहें।
अब विरह वेदना में ही लिप्त हो जाने दो मुझें।।।
चाहत का गुलदस्ता टूट चकना चूर हुआ है।
शीशे से ही बदन को लहूलुहान कर लेने दो मुझे।
खंज़र सीने से आरपार कर साँसों को रोक लेने दो मुझे।
इस रंग बदलती दुनिया से विदा ले लेने दो मुझें।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनु जैन
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