सभ्यता
नगरीकरण का द्योतक सभ्यता
उत्थान पतन की सूचक सभ्यता
भौतिक प्रगति को बतलाती
निरक्षर से अक्षर ज्ञान करवाती
प्रतिभा का परचम मनवाती
ऐसी रही है अब तक मेरी सभ्यता
सिन्धु से उदभव मेरा इतिहास
जन जन को इसका आभास
हड़प्पा ,मोहनजोदड़ो के अवशेष
यहीं बतलाते है कहानी शेष
सुनिर्मित , सुविकसित सभ्यता
फली फूली रही है मेरी सभ्यता
वैदिक काल से ले आज तक
गुरूकुल से आधुनिक स्कूल तक
सुसंस्कृत सभ्यता हुई पल्लवित
जिसमें प्राण तत्व होता संचरित
गंगा , जमुना सरस्वती का संगम
जहाँ वास करे जड़ चेतन अगम
जहाँ मान होता विदुषियों का
ऐसी गौरवमयी है मेरी सभ्यता
पर वक्त पंख लगा उड़ता है
कलियुग हर मानक खोता है
रावण गली गली घूमते है
बालाओं का मान हरते है
सुदृष्टि कुदृष्टि में है बदली
सुकुमारी आंचल में सिसकी
यह नहीं है मेरी सभ्यता
यह नहीं है मेरी सभ्यता