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17 Feb 2022 · 1 min read

*सभी श्रंगार दो दिन का【मुक्तक】*

सभी श्रंगार दो दिन का【मुक्तक】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
ये कोठी बंगला ये कार ,ये बाजार दो दिन का
चमकता नौलखा सोने का ,सुंदर हार दो दिन का
न इतराओ यहाँ दौलत-जवानी-रूप क्षण-भंगुर
यहाँ जो दिख रहा है वह सभी श्रंगार दो दिन का
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
139 Views
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