सभी बहला रहे हैं
हमें अब ये सभी बहला रहे हैं
कई तो अब कसम भी खा रहे हैं
उलझती जा रही अब ये सियासत
अभी से ज़ाल फेंके जा रहे हैं
चलो अब ये शहर वीरान होगा
यहाँ मातम मनाये जा रहे हैं
दिखा जब उस तरफ़ जोे फ़ायदा तो
हमारी सब वफ़ा झुठला रहे हैं
इधर भी तो धुआँ उठने लगा है
उधर के घर जलाये जा रहे हैं