सभी प्रकार के घनाक्षरी छंद सीखें
आओ गुरु कुल में
घनाक्षरी छंद सीखें
मनहरण घनाक्षरी 31
8/8/8/7 या 16/15
पर यति अंत में गुरू
मोहन की वंशी
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मधुर मधुर धुन, बाँसुरी की कान पड़ी,
गोपी एक तन मन, की सुधी गँवाई थी ।
सारे काम काज करे,दामिनी सी दमक ले,
खीर में नमक मिर्च डाल हरषाई थी ।
गालन में कजरा तो लाली लगा
आँखन में,
मोहन से मिलने की योजना बनाई थी।
इतनी जल्दी मचाई समझ न कुछ पाई,
बाँधना थी गाय वहाँ ,सास बाँध आई थी।
रूप घनाक्षरी 32
8/8 या 16/16 पर यति
अंत में गुरू लघु
××××××××÷××××××
कोटि कोटि जनता ने,चाहा वो मुहूर्त है,
जनता जनार्दन, करते हो क्यों प्रलाप ।
आग सी लगा रहे हो, क्रोध में विरोध जता,
शरदी है सुख पायें, लोग सभी आग ताप।
रामजी ने शिवजी के, धनुष को तोड़ दिया,
वरमाला न रुकेगी,रहो कितने खिलाप ।
राम लला मंदिर में, होंगे ही विराजमान,
अब चाहे रोओ गाव ,याकि छाती पीटो आप ।
कृपाण घनाक्षरी 32
8/8/8/8 यति
हर यति पर अनुप्रास
अंत में गुरू लघु
×××××××××××××××××
आया जैसे ही चुनाव ,मची भारी हांव हांव,
गुनी करत गुनाव, जाके आज गांव गांव।
सदा कार पै सवार, साथ चमचे हजार,
खूब करें जै जैकार,वे ही चलें पांव पांव।
कहीं मंदिरों में जायँ, कहीं चादर चढ़ायँ,
भक्ति भाव दिखलायँ,माथा टेक ठांव ठांव ।
जीते माइक महान, कवि हंस के समान,
लगाकर पूरी जान,कौवे करें कांव कांव ।
मदनहरण घनाक्षरी 32
8/8/8/8यति
अंत में 2 गुरू
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सैकड़ों सालों के बाद, यह शुभ घड़ी आई,
तन मन धन हम,इस पर वार देंगे ।
अवधपुरी का पर्व,गर्व से सम्पन्न होगा,
गणपति गणराज,वाणी के विचार देंगे ।
शिवजी के लाल विकराल महाकाल बन ,
जैसे जैसे विघ्न हैं जो, समय पै टार देंगें।
जितने निशाचर हैं,कालनेमि रूप धरें,
गिन गिन सबको ही,हनुमान मार देंगे।
डमरू घनाक्षरी 32 वर्ण
8/8/8/8 यति
सभी अमात्रिक वर्ण
राम भजन
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इधर उधर मत,भटक अटक कर ,
समय सरस लख,सत पथ पर चल।
यह जग गड़बड़, बड़बड़ मत कर,
रह रह सह सह,वच कह मत टल।
धन पद छन छन,करत हृदय हन,
समझ समझ कर, रख सब पदतल।
दशरथ तनय भजन तज तन यह,
अकल सकल थक, अब मत कर मल।
सूर घनाक्षरी 30वर्ण
8/8/8/6 अंत 2 गुरू
या गुरू लघु
राम जी की कृपा पाके,जनता ने अपनाया।
सबके गले का मानों, हार हुआ मोदी।
भटकाने वालों ने तो ,खूब भटकाई राह,
देश के विकास वाला,सार हुआ मोदी।
जन मन के दिलों को,राम जी से जोड़ दिया,
चेतना के खंबे खंबे,तार हुआ मोदी।
दूर से ही सैकड़ों,किलोमीटर वार करे,
ऐसी ही मिसाइल की ,मार हुआ मोदी।
अंगद की वीरता
देव घनाक्षरी 33 वर्ण
8/8/8/9 यति
अंत में 3 लघु
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बाली सुत वीर होके,मगन शरीर जोधा,
बनके बेपीर खेल खिलाते,सटक सटक।
रामद्रोही बैरियों को,पकड़ मरोड़ते थे,
हड्डियों से हो रही थी आवाजें चटक चटक।
कौतुक में मारें नहीं,उदर विदारें नहीं,
कपडे सा झाड़ देते,खीचके झटक झटक।
छका छका,थका थका,दाव दिखा जका जका,
लंका के निशाचर को,मारते पटक पटक।।
कलाधर घनाक्षरी 31
15 गुरू लघु युग्म अंत गुरू
चुनाव चक्कर
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बोलते सभी प्रचण्ड झूठ वोट हेतु आज,
देख के हवा हिसाब आप झूठ बोलदो।
दाव है चढ़ा बड़ा कड़ा मुकाबला चुनाव,
नीर के समान गैल गैल द्रव्य ढोल दो।
चाहता विशेष मान जो सदैव मीत खास,
पास में बुला उसे गले लगाय झोल दो।
कौन बांट है कहाँ कहाँ झुकाव हानि लाभ ,
जो जहाँ तुले वहाँ उसे तुरंत तोल दो ।
सुधानिधि घनाक्षरी 32 वर्ण
16 गुरू लघु युग्म
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बाग में बिराज आजहैं सुयोगिनी समान,
गात है मलीन वंश है कुलीन एक आस।
मात सीय आपका लगायँ ध्यान नैन मूंद,
और नांहि देखतीं उठाय आँख आसपास।
जातुधान जो कहा निकाल खंग देत त्रास,
मान बात जानकी लगे न देर एक मास।
पूछिये न हाल नाथ क्या बता सकें सुनाय,
हो गईं बिहाल नांहि बोल पाय ठीक दास।
हरिहरण घनाक्षरी
32 वर्ण 8-8-8-8 पर यति
सानुप्रास अनिवार्य ।हर यति पर दो लघु
सैनिक से ÷
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कर बार बार कर,वतन से प्यार कर,
हाथ गन धारकर,सरहद पारकर।
सोच न विचारकर, ध्वज को संवारकर,
युद्ध आरपारकर, रिपु ललकारकर।
दनादन वारकर,पैनी दृष्टि डारकर,
शत्रु को संहारकर, जीत बाँहें डारकर।
तपके निखारकर, मलिनता क्षारकर,
भक्ति का संचार कर, मातृभूमि प्यार कर।
गुरू सक्सेना
गुरुकुल नरसिंहपुर