Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2024 · 3 min read

सभी प्रकार के घनाक्षरी छंद सीखें

आओ गुरु कुल में
घनाक्षरी छंद सीखें
मनहरण घनाक्षरी 31
8/8/8/7 या 16/15
पर यति अंत में गुरू
मोहन की वंशी
*****************
मधुर मधुर धुन, बाँसुरी की कान पड़ी,
गोपी एक तन मन, की सुधी गँवाई थी ।

सारे काम काज करे,दामिनी सी दमक ले,
खीर में नमक मिर्च डाल हरषाई थी ।

गालन में कजरा तो लाली लगा
आँखन में,
मोहन से मिलने की योजना बनाई थी।

इतनी जल्दी मचाई समझ न कुछ पाई,
बाँधना थी गाय वहाँ ,सास बाँध आई थी।

रूप घनाक्षरी 32
8/8 या 16/16 पर यति
अंत में गुरू लघु
××××××××÷××××××
कोटि कोटि जनता ने,चाहा वो मुहूर्त है,
जनता जनार्दन, करते हो क्यों प्रलाप ।

आग सी लगा रहे हो, क्रोध में विरोध जता,
शरदी है सुख पायें, लोग सभी आग ताप।

रामजी ने शिवजी के, धनुष को तोड़ दिया,
वरमाला न रुकेगी,रहो कितने खिलाप ।

राम लला मंदिर में, होंगे ही विराजमान,
अब चाहे रोओ गाव ,याकि छाती पीटो आप ।

कृपाण घनाक्षरी 32
8/8/8/8 यति
हर यति पर अनुप्रास
अंत में गुरू लघु
×××××××××××××××××
आया जैसे ही चुनाव ,मची भारी हांव हांव,
गुनी करत गुनाव, जाके आज गांव गांव।

सदा कार पै सवार, साथ चमचे हजार,
खूब करें जै जैकार,वे ही चलें पांव पांव।

कहीं मंदिरों में जायँ, कहीं चादर चढ़ायँ,
भक्ति भाव दिखलायँ,माथा टेक ठांव ठांव ।

जीते माइक महान, कवि हंस के समान,
लगाकर पूरी जान,कौवे करें कांव कांव ।

मदनहरण घनाक्षरी 32
8/8/8/8यति
अंत में 2 गुरू
*****************
सैकड़ों सालों के बाद, यह शुभ घड़ी आई,
तन मन धन हम,इस पर वार देंगे ।

अवधपुरी का पर्व,गर्व से सम्पन्न होगा,
गणपति गणराज,वाणी के विचार देंगे ।

शिवजी के लाल विकराल महाकाल बन ,
जैसे जैसे विघ्न हैं जो, समय पै टार देंगें।

जितने निशाचर हैं,कालनेमि रूप धरें,
गिन गिन सबको ही,हनुमान मार देंगे।

डमरू घनाक्षरी 32 वर्ण
8/8/8/8 यति
सभी अमात्रिक वर्ण
राम भजन
***************
इधर उधर मत,भटक अटक कर ,
समय सरस लख,सत पथ पर चल।

यह जग गड़बड़, बड़बड़ मत कर,
रह रह सह सह,वच कह मत टल।

धन पद छन छन,करत हृदय हन,
समझ समझ कर, रख सब पदतल।

दशरथ तनय भजन तज तन यह,
अकल सकल थक, अब मत कर मल।

सूर घनाक्षरी 30वर्ण
8/8/8/6 अंत 2 गुरू
या गुरू लघु
राम जी की कृपा पाके,जनता ने अपनाया।
सबके गले का मानों, हार हुआ मोदी।

भटकाने वालों ने तो ,खूब भटकाई राह,
देश के विकास वाला,सार हुआ मोदी।

जन मन के दिलों को,राम जी से जोड़ दिया,
चेतना के खंबे खंबे,तार हुआ मोदी।

दूर से ही सैकड़ों,किलोमीटर वार करे,
ऐसी ही मिसाइल की ,मार हुआ मोदी।

अंगद की वीरता
देव घनाक्षरी 33 वर्ण
8/8/8/9 यति
अंत में 3 लघु
*************
बाली सुत वीर होके,मगन शरीर जोधा,
बनके बेपीर खेल खिलाते,सटक सटक।

रामद्रोही बैरियों को,पकड़ मरोड़ते थे,
हड्डियों से हो रही थी आवाजें चटक चटक।

कौतुक में मारें नहीं,उदर विदारें नहीं,
कपडे सा झाड़ देते,खीचके झटक झटक।

छका छका,थका थका,दाव दिखा जका जका,
लंका के निशाचर को,मारते पटक पटक।।

कलाधर घनाक्षरी 31
15 गुरू लघु युग्म अंत गुरू
चुनाव चक्कर
*****************
बोलते सभी प्रचण्ड झूठ वोट हेतु आज,
देख के हवा हिसाब आप झूठ बोलदो।

दाव है चढ़ा बड़ा कड़ा मुकाबला चुनाव,
नीर के समान गैल गैल द्रव्य ढोल दो।

चाहता विशेष मान जो सदैव मीत खास,
पास में बुला उसे गले लगाय झोल दो।

कौन बांट है कहाँ कहाँ झुकाव हानि लाभ ,
जो जहाँ तुले वहाँ उसे तुरंत तोल दो ।

सुधानिधि घनाक्षरी 32 वर्ण
16 गुरू लघु युग्म
*****************
बाग में बिराज आजहैं सुयोगिनी समान,
गात है मलीन वंश है कुलीन एक आस।

मात सीय आपका लगायँ ध्यान नैन मूंद,
और नांहि देखतीं उठाय आँख आसपास।

जातुधान जो कहा निकाल खंग देत त्रास,
मान बात जानकी लगे न देर एक मास।

पूछिये न हाल नाथ क्या बता सकें सुनाय,
हो गईं बिहाल नांहि बोल पाय ठीक दास।

हरिहरण घनाक्षरी
32 वर्ण 8-8-8-8 पर यति
सानुप्रास अनिवार्य ।हर यति पर दो लघु
सैनिक से ÷
****************
कर बार बार कर,वतन से प्यार कर,
हाथ गन धारकर,सरहद पारकर।

सोच न विचारकर, ध्वज को संवारकर,
युद्ध आरपारकर, रिपु ललकारकर।

दनादन वारकर,पैनी दृष्टि डारकर,
शत्रु को संहारकर, जीत बाँहें डारकर।

तपके निखारकर, मलिनता क्षारकर,
भक्ति का संचार कर, मातृभूमि प्यार कर।

गुरू सक्सेना
गुरुकुल नरसिंहपुर

Language: Hindi
219 Views

You may also like these posts

*सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा (हिंदी गजल)*
*सौ वर्षों तक जीना अपना, अच्छा तब कहलाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
करो तुम प्यार ही सबसे, सबों को अपना तुम मानो !
करो तुम प्यार ही सबसे, सबों को अपना तुम मानो !
DrLakshman Jha Parimal
12) “पृथ्वी का सम्मान”
12) “पृथ्वी का सम्मान”
Sapna Arora
तज़्किरे
तज़्किरे
Kalamkash
फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं?
फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं?
दीपक झा रुद्रा
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
जिंदगी और मौत (गजल )
जिंदगी और मौत (गजल )
ओनिका सेतिया 'अनु '
"पेंसिल और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
निहरलS पेट आपन, दोसरा के ख्याल ना कइलS
निहरलS पेट आपन, दोसरा के ख्याल ना कइलS
अवध किशोर 'अवधू'
Weekend
Weekend
DR ARUN KUMAR SHASTRI
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
Buddha Prakash
जीवन संध्या में
जीवन संध्या में
Shweta Soni
3235.*पूर्णिका*
3235.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
Gouri tiwari
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
Sonam Puneet Dubey
.
.
*प्रणय*
बात बनती हो जहाँ,  बात बनाए रखिए ।
बात बनती हो जहाँ, बात बनाए रखिए ।
Rajesh Tiwari
मनभावन होली
मनभावन होली
Anamika Tiwari 'annpurna '
रातों में कभी आसमान की ओर देखना मेरी याद आएगी।
रातों में कभी आसमान की ओर देखना मेरी याद आएगी।
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
Neelofar Khan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
चंदा, हाल तुम्हारा क्या है, अब हम जानेंगे।
चंदा, हाल तुम्हारा क्या है, अब हम जानेंगे।
श्रीकृष्ण शुक्ल
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
शक्ति और भक्ति आर के रस्तोगी
शक्ति और भक्ति आर के रस्तोगी
Ram Krishan Rastogi
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
Ajit Kumar "Karn"
*
*"रक्षाबन्धन"* *"काँच की चूड़ियाँ"*
Radhakishan R. Mundhra
माया प्रभु की
माया प्रभु की
Mahesh Jain 'Jyoti'
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Agarwal
Loading...