*सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)*
सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है (हिंदी गजल)
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1)
सभी के साथ सामंजस्य, बैठाना जरूरी है
गृहस्थी में लचीलापन, नहीं है तो अधूरी है
2)
सदा जिद पर ही अड़ने से, समस्याऍं जटिल होंगी
गृहस्थी में रखो सम्मान, सबका तब ही पूरी है
3)
जो हारा जानकर खुद ही, समझिएगा विजेता वह
गृहस्थी में वही जीता, विजय से जिसकी दूरी है
4)
गृहस्थी सिर्फ काले-श्वेत, रंगों से नहीं बनती
गृहस्थी अटपटी है वस्तु, यह दिखने में भूरी है
5)
गृहस्थी हर समय चाबुक, चलाने से नहीं चलती
गृहस्थी में कभी करना, जरूरी जी-हजूरी है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451