सब याद आता है
भूलता नहीं मुझको तेरा शरारत करना,
गलती खुद करके मेरे सिर पर मढ़ना।
बचपन की यादें कोई कहाँ भूल पाता है,
सब याद आता है……..।
तेरे साथ खेलना, जीतकर भी हारना,
मेरा खिलौना है कह मुझ पर रौब झाड़ना।
राखी पर उपहार के लिए मुझसे लड़ना,
अगली बार देंगे मेरा इस बात पर अड़ना।
तेरी उस सरलता पे मेरा सर झुक जाता है,
सब याद आता है……।
रात को पढ़ते समय मेरे चुटकी काटना,
चींटी ने काटा है कह मुझको फिर डाँटना।
तकिया बीच में रखकर बिस्तर का बाँटना,
अपनी-अपनी जगह को ज्यादा-कम आँकना।
अब उस अतीत के लिए मन ललचाता है,
सब याद आता है…..।
तू कहती यही मेरा घर है मुझे सदा यहीं रहना है,
पर लड़कियाँ नदी हैं, उद्गम स्थल पर कहाँ ठहरना है ?
भले दूर हों फिर भी भाई-बहन का अटूट नाता है,
बिन तेरे घर-आँगन सब सूना सा नज़र आता है,
सब याद आता है…..सब याद आता है !