” सब भाषा को प्यार करो “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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अपनी भाषा को
तो पढ़ते नहीं ,
दूसरी भाषा
को कौन पढ़ेगा ?
इतने व्यस्त
हो गए आजकल ,
औरों की बातों को
कौन सुनेगा ?
भाषा- बोली सबकी
अच्छी होती है ,
जब तक हम
उसे समझते हैं !
समझें नहीं जब
उनकी बोली ,
उसे काला अक्षर
ही हम कहते हैं !!
पर आसान
हो गया अब तो ,
सब हम यहाँ
पढ़ सकते हैं !
पढ़ने की जिज्ञासा
रहने से ,
गूगल गाइड
बन जाते हैं !!
ध्यान सदा ही
रखना होगा ,
संक्षिप्तता में
ही रहना होगा !
लम्बी लेख को
कम पढ़ते हैं ,
छोटे लेखों को
लिखना होगा !!
सब भाषा हैं
मधुर अपनों में ,
सबको सीखने
का यत्न करें !
जहाँ कहीं भी
जरूरत होगी ,
उसे लिखने का
प्रयत्न करें !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
13.08.2023