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28 Jul 2021 · 1 min read

सब बेकार है।

अपना संगी है, साथी है।
रिश्ते है नाते है।
कोई किसी की मदद नहीं करता है।
तब सब बेकार है।

गाड़ी है बंगला है
महल दो महला है।
घर में शान्ति का अभाव है।
तब सबके सब बेकार है।

शहर में बड़ा मकान है।
अच्छा एक दुकान है।
पर चलता ही नहीं है ।
तो सब बेकार है।

घर है द्वार है।
भरा पूरा परिवार है।
घर का मालिक ही जब लाचार है।
तब सब के सब बेकार है।

नेता है मंत्री है।
अच्छी सरकार है।
जनता भूख से मर जाए ।
तो सब बेकार है।
●●●
©®रवि शंकर साह, बैद्यनाथ धाम, देवघर
झारखंड 814112

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 262 Views

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