Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2023 · 1 min read

सब बिक गए!

ज्ञान बिक गये,
ध्यान बिक गये।

कलम विकी,
सम्मान बिक गये।

छोटी-छोटी सुविधाओं पर,
बड़े-बड़े ईमान बिक गये।

सोच समझ कर मुँह से बोलो,
दीवारों के कान बिक गये।

उनसे पूछ जिंदगी क्या है,
जिनके सब अरमान बिक गये।

नग्न रह गई जीवित लाशें,
मुर्दों के परिधान बिक गये।

चोरों को मत दोष दीजिये,
घर के ही दरबान बिक गये।

रपशुओं की कीमत लगती है,
बिना मूल्य इंसान बिक गये।

434 Views

You may also like these posts

अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*सबकी अपनी दुनिया*
*सबकी अपनी दुनिया*
Dr. Vaishali Verma
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मेरे फितरत में ही नहीं है
मेरे फितरत में ही नहीं है
नेताम आर सी
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
■शिक्षक दिवस (05 सितंबर)■
*प्रणय*
भारत
भारत
Shashi Mahajan
बहुत दर्द है, असहनीय पीड़ा,
बहुत दर्द है, असहनीय पीड़ा,
लक्ष्मी सिंह
हो जाएँ नसीब बाहें
हो जाएँ नसीब बाहें
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहे गरदन उड़ा दें...
चाहे गरदन उड़ा दें...
अरशद रसूल बदायूंनी
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
टूट कर भी धड़कता है ये  दिल है या अजूबा है
टूट कर भी धड़कता है ये दिल है या अजूबा है
Kanchan Gupta
*माँ सरस्वती जी पर मुक्तक*
*माँ सरस्वती जी पर मुक्तक*
Rambali Mishra
चुनाव
चुनाव
Mukesh Kumar Sonkar
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कर्म का फल भाग - 1 रविकेश झा
कर्म का फल भाग - 1 रविकेश झा
Ravikesh Jha
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
यथार्थ में …
यथार्थ में …
sushil sarna
चांद
चांद
Shekhar Chandra Mitra
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता- जनजातीय विद्रोह
कविता- जनजातीय विद्रोह
आर.एस. 'प्रीतम'
2560.पूर्णिका
2560.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
अनुत्तरित
अनुत्तरित
Meera Thakur
"सदा से"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार है नही
प्यार है नही
SHAMA PARVEEN
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सुंडाळा सुध राखियौ , म्हांनै बाळक जांण।
सुंडाळा सुध राखियौ , म्हांनै बाळक जांण।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हमने जिनके झूठ का ,रखा हमेशा मान
हमने जिनके झूठ का ,रखा हमेशा मान
RAMESH SHARMA
ज्ञान उसे नहीं कहते हैं
ज्ञान उसे नहीं कहते हैं
Ragini Kumari
Loading...