*सब देशों को अपना निर्मम, हुक्म सुनाता अमरीका (हिंदी गजल)*
सब देशों को अपना निर्मम, हुक्म सुनाता अमरीका (हिंदी गजल)
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1)
सब देशों को अपना निर्मम, हुक्म सुनाता अमरीका
दादागिरी घमंडी अपनी, रोज चलाता अमरीका
2)
जब चाहे यह जिस नेता को, सत्ता-पद से हटवा दे
सब देशों में एजेंटों का, जाल बिछाता अमरीका
3)
लोकतंत्र तो कहने-भर को, यों सारी दुनिया में है
कठपुतली का मगर असल में, नाच नचाता अमरीका
4)
पुरस्कार जो अमरीका से, मिलते सभी मुखौटे हैं
इन्हीं मुखौटों से अपनों के, मुख सजवाता अमरीका
5)
अमरीका की शर्तें मानो, या परिणामों को भुगतो
चुनी हुई सरकारों को, दो टूक बताता अमरीका
6)
दुर्बल देशों में धरनों से, घोर अराजकता लाता
छुपा बॉंसुरी इनके पीछे, सुनो बजाता अमरीका
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451