सब के पास उजाले हो !!
मानवता का सन्देश फैलाते, मस्जिद और शिवाले हो !
नीर प्रेम का भरा हो सब में, ऐसे सबके प्याले हो !!
होली जैसे रंग हो बिखरे, दीपों की बारात सजी हो ,
अंधियारे का नाम न हो, सब के पास उजाले हो !!
हो श्रृद्धा और विश्वास सभी में, नैतिक मूल्य पाले हो !
संस्कृति का करे सब पूजन, संस्कारों के रखवाले हो !!
चौराहों पे न लुटे अस्मत , दुशासन ना बढ़ पाएं ,
भूख, गरीबी, आंतक मिटे, ना देश में धंधे काले हो !
सच्चाई को मिले आजादी और लगे झूठ पर तालें हो !
तन को कपडा सिर को साया, सब के पास निवाले हो !!
दर्द किसी को छू ना पाये, ना किसी आँख से आंसूं आये,
झोंपड़ियों के आँगन में भी खुशियों की फैली डालें हो !!
जिए और जीने दे ना चलते कहीं बरछी भाले हो !
हर दिल में हो भाईचारा, नाग ना पलते काले हो !!
नगमो- सा हो जाये जीवन, फूलों भरा हो हर आँगन ,
सुख ही सुख मिले सभी को, एक दूजे को सम्हाले हो !!!
✍ सत्यवान सौरभ
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