हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
क्यूट हो सुंदर हो प्यारी सी लगती
गरीबी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकें अछि सम्मान एतय ! धर्म ,जात
मीडिया का वैश्विक परिदृश्य
जो आपका गुस्सा सहन करके भी आपका ही साथ दें,
परहेज बहुत करते है दौलतमंदो से मिलने में हम
हिन्दी दोहा-पत्नी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'