सब क़िस्मत का खेल है
एक फ़ूल कीचड़ में गिर गया
एक फ़ूल भगवान पे चढ़ गया।
कहीं हेड है तो कहीं टेल है
सब क़िस्मत का खेल है।
किसी को पेट की चिंता
किसी को बढ़ते वेट की चिंता।
किसी को बाजार के high rate की चिंता
किसी को नौकर की चिंता किसी को सेठ की चिंता
कहीँ हुस्न pass हुआ भावनाएँ हुई Fail हैं
सब क़िस्मत का खेल है।
किसी को जाम की चिंता
किसी को नाम की चिंता
किसी को दाम की चिंता
किसी को शहर में चिंता, किसी को गाँव में चिंता ।
कोई बटर-चिकन खा रहा, कहीँ सब्ज़ी में नहीँ तेल है।
सब क़िस्मत का खेल है।
किसी के लिए पिया परमात्मा
किसी के लिये पिया बैरी
किसी को गमछे में गंवार लगे
कोई गमछे को स्कार्फ समझ के पिया को कहे शहरी
किसी के लिए शादी 7 जन्मों का बंधन किसी के लिए जेल है
सब क़िस्मत का खेल है।
कोई ज़िन्दगी में टपक रहा
कोई ज़िन्दगी से टपक रहा
कोई ऊब गया जल्दी
वो बगल से सरक रहा
कहीँ दिल का कहीं जिस्मों का मेल है
सब क़िस्मत का खेल है।
कोई उलझा है हाथों की लकीरों में
कोई बैठा है पीरों-फ़कीरों में
कोई ज्ञान-विज्ञान पे बहस कर रहा
कोई शांत बैठा है, कोई उलझा तलवार-तीरों में
किसी के हाथ नहीँ है और कोई बढ़ा रहा है नेल है
सब क़िस्मत का खेल है।
कोई किसी को अपना रहा है
कोई किसी को ठुकरा रहा है
कोई अपने सपनों को पूरा करने में लगा है
कोई किसी के सपने बिखरा रहा है
ज़िस्म बिक रहे हैँ बाज़ार में लगी sell है
कहे “सुधीरा” सब क़िस्मत का खेल है।