सब आपनि-आपनि गाय रहें
सब आपनि-आपनि गाय रहें ।
दुनिया का यहै दस्तूर हवै,
सबही का नोट कपूर हवै,
मनई बिन पूंछ लंगूर हवै,
जब द्याखौ गाल बजाय रहें ।
सब आपनि-आपनि गाय रहें ।।
कहिते हम आपनि बात कही,
इन आँसन कै बरसात कही,
सबके समुहे नहि जात कही,
गूंगौ अब राग सुनाय रहें ।
सब आपनि-आपनि गाय रहें ।।
दुनिया मा बड़े परपंच हवै,
जहिते ब्वालौ सरपंच हवै,
जस नौटंकी के मंच हवै,
भाषण पर साज मिलाय रहें ।
सब आपनि-आपनि गाय रहें ।।
हमका लागै अब पापु नहिन,
मनई ते बिषधर सांपु नहिन,
बिटिया खातिर अब बापु नहिन,
‘प्रेमी’ पर गाज गिराय रहें ।
सब आपनि-आपनि गाय रहें ।।
__सतगुरु प्रेमी
मो0-9721750511