Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2023 · 1 min read

सब्र

यादें
=======:-
“यादों की बादल में बरसात बहुत होती है ..
गर चाहिए जिंदगी को सुकून तो ..
आंसूं भी पीना स्वभाविक है ===========================
-प्रतिभा कुमारी-गया (बिहार)-✍️

Language: Hindi
199 Views

You may also like these posts

पंडिताइन (लघुकथा)
पंडिताइन (लघुकथा)
Indu Singh
पावन मन्दिर देश का,
पावन मन्दिर देश का,
sushil sarna
"काश"
Dr. Kishan tandon kranti
चार दिन की जिंदगी
चार दिन की जिंदगी
Karuna Goswami
4587.*पूर्णिका*
4587.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
Suryakant Dwivedi
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
जीवन में न तो कोई अंतिम हार है और न ही कोई अंतिम जीत। अतः मु
जीवन में न तो कोई अंतिम हार है और न ही कोई अंतिम जीत। अतः मु
PRADYUMNA AROTHIYA
चांद ठहर जाओ
चांद ठहर जाओ
Minal Aggarwal
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
सिर्फ वही इंसान शिक्षित है, जिसने सीखना और परिस्थितियों के अ
सिर्फ वही इंसान शिक्षित है, जिसने सीखना और परिस्थितियों के अ
इशरत हिदायत ख़ान
संभव होता उम्मीदों का आसमान छू जाना
संभव होता उम्मीदों का आसमान छू जाना
sushil yadav
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मोबाइल
मोबाइल
Meenakshi Bhatnagar
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
क्या हुआ क्यों हुआ
क्या हुआ क्यों हुआ
Chitra Bisht
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आज के इस स्वार्थी युग में...
आज के इस स्वार्थी युग में...
Ajit Kumar "Karn"
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
तस्वीर!
तस्वीर!
कविता झा ‘गीत’
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
उदास शख्सियत सादा लिबास जैसी हूँ
Shweta Soni
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
Sanjay ' शून्य'
बचपन
बचपन
Ayushi Verma
#आह्वान_तंत्र_का
#आह्वान_तंत्र_का
*प्रणय*
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
Ranjeet kumar patre
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो
जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर का निर्माण हो
श्रीकृष्ण शुक्ल
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
उनकी नज़रों में अपना भी कोई ठिकाना है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रभु दर्शन
प्रभु दर्शन
Rambali Mishra
Loading...