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9 Dec 2021 · 1 min read

सबेरे सबेरे

..बर्फ की-सी उजली भूरी रोशनी में वो सुबह एक वृक्ष के साये में अपने पेट में पैर समेटे दुबका पड़ा था मुझे देखते ही वो फुदकता हुआ मेरे पीछे हो लिया। मैंने जैसे ही उसके सूखे चेहरे पर हाथ फिराया उसके होठ तरल हो गये और आंखे खुशी से मुस्कुराने लगी।वास्तव में जो आनंद किसी की आंखों को मुस्कुराते हुए देखने में मिलता है वो अपनी ही धुन में रहने से भी नहीं दिखाई देता..।
मनोज शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 351 Views
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