सबूतों और गवाहों को अगर मद्द-ए-नज़र रखता
सबूतों और गवाहों को अगर मद्द-ए-नज़र रखता
तो अपने ख़ून के रिश्तों से भी आगे हुनर रखता
नहीं रखता किसी का हक़ चुराकर छीनकर कोई
ज़रा सा भी ख़ुदा का ख़ौफ़ बस दिल में अगर रखता
जॉनी अहमद ‘क़ैस’
सबूतों और गवाहों को अगर मद्द-ए-नज़र रखता
तो अपने ख़ून के रिश्तों से भी आगे हुनर रखता
नहीं रखता किसी का हक़ चुराकर छीनकर कोई
ज़रा सा भी ख़ुदा का ख़ौफ़ बस दिल में अगर रखता
जॉनी अहमद ‘क़ैस’