!..सबसे पहले इंसान बनो..!
सूर्य जो ना बन सको तो
एक नन्हा दिया बन जाना तुम.!
क्षितिज पर ना छा सको तो
किसी गरीब की झोपडी की
शान बन जाना तुम.!
संसार के तम से भले अकेले
बाजी ना मार सको तुम.!
अपने अंदर के तम से जीतकर,
होशियार बन जाना तुम.!
सिक्कों की खनक ना दे पाओ तो,
कुछ उदास से चेहरों पर
मुस्कान बन कर खिल जाना तुम.!
नहीं जरूरी जग में सदा
ऊंचे पद को पाना…
छोटे छोटे कर्मो से ही
अपना कद खूब बढ़ाना तुम.!
डॉ इंजी. भले नहीं बन पाओ तुम,
दूजो के दुख सुख जो बांट सके
इंसान ऐसा बन जाना तुम.!